प्रोबायोटिक्स द्वारा पेट को स्वस्थ रखें
आपनेवो कहावत तो सुनी ही होगी “पेट ठीक, तो सब कुछ ठीक”? यह शब्द सचमुच अमूल्य हैं।
ऐसा ना जानेकितनी बार हुआ हैकि जब मेरा बच्चा दौड़तेहुए मेरा पास आकर कहता है, "माँ, मेरेपेट में दर्द हो रहा
है"। और हमेशा, इसका कारण पेट का ख़राब होना ही होता है।
और यक़ीन मानिए, पेट स्वस्थ ना होनेकी वजह सेबच्चों में इंफेक्शन, कब्ज़ और डायरिया जैसी पेट की कई
बीमारियाँदस्तक देती रहती हैं। इसलिए, जब भी मुझेबच्चेमें पेट ख़राब होनेका कोई भी लक्षण दिखाई देता है
तब मुझेपता चल जाता हैकि उसकेगट फ्लोरा मेंअच्छेबैक्टीरिया को रिस्टोर करनेका समय आ गया है।
गट फ्लोरा क्या होता है?
पहले, मैं बैक्टीरिया को सिर्फ़ बुरा ही मानती थी। पर, जब मैंनेअपनेबच्चेमें बार-बार होनेवालेपेट दर्द केमूल कारण का पता लगानेकी कोशिश की, तो पता चला कि हमारेपेट में बैक्टीरिया का एक ऐसा परिवेश होता हैजो पनपता रहता हैऔर यह हमारेबच्चेकेस्वास्थ्य केलिए बेहद ज़रूरी होता है। इसेगट फ्लोरा कहतेहैं।
क्या आप जानतेहैं, तकरीबन हमारी 70% इम्युनिटी पेट में मौज़ूद होती है। इसीलिए, पेट को स्वस्थ रखना बहुत ज़रूरी होता है, इसीलिए मैंनेअपनेबच्चेकी इम्युनिटी को बढ़ानेकेतरीकों पर जोर देना शुरूकिया।
पर येतो बहुत आसान था। जब पता चला कि प्रोबायोटिक बैक्टीरिया का सेवन, स्वस्थ गट फ्लोरा सुनिश्चित करनेका सर्वोत्तम उपाय है। मुझेपता हैकि यह सब कुछ थोड़ा मुश्किल लगता है, पर भारतीय आहारों में ऐसेकई विकल्प हैंजो पेट केस्वास्थ्य केलिए प्रोबायोटिक्स सेभरपूर होतेहैं।
सरल शब्दों में, डाइजेस्टिव प्रोबायोटिक्स “अच्छेबैक्टीरिया“ होतेहैंजो हमारेपाचन तंत्र को स्वस्थ बनातेहैं। प्रोबायोटिक्स ना सिर्फ़ हमारेसंपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनातेहैं बल्कि हमेंअन्य महत्वपूर्ण लाभ भी प्रदान करतेहैं।
- प्रोबायोटिक युक्त आहार मानसिक स्वास्थ्य केलिए भी फ़ायदेमंद होता है। जैसे, प्रतिदिन 100 ग्राम प्रोबायोटिक दही का सेवन सामान्य स्वास्थ्य, डिप्रेशन (निराशा), एंग्जायटी (बेचैनी) और स्ट्रेस (तनाव) मेंलाभकारी होता है।
- यह कुछ प्रकार की एलर्जी केलक्षणों को भी कम करतेहैं
- प्रोबायोटिक्स हानिकारक बैक्टीरिया को बढ़नेनहीं देतेजिससेहमारा इम्यून सिस्टम मज़बूत बनता है
- प्रोबायोटिक्स, डायरिया की रोकथाम और उसकेलक्षणों को भी कम करतेहैं
इसीलिए, मैंनेअपनेबच्चेकेआहार में निम्नलिखित प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना शुरूकिया और उसकी पाचन शक्ति में महत्वपूर्ण बदलाव महसूस किये:
- इडली और डोसा
- ढोकला
- सेब
- केला
- दही
- लहसुन
- अचार
- प्याज
- अंजीर
- चीज़
- सोयमिल्क
- ओलिव (जैतून)
- डार्क चॉकलेट
- शतावरी
- अनानास
हालाँकि, आपकेबच्चेमेंलैक्टोज़ और/या ग्लूटेन संवेदनशीलता को देखतेहुए, आपको कुछ प्रोबायोटिक आहारों
सेदूरी बरतनी होगी।
पर, चाहेकोई भी तरीका अपना लो या कैसेभी लालच देदो, मेरा नख़रेबाज़, सिर्फ़जंक फूड पसंद करनेवाला
बच्चा इन्हें छूता तक नहीं है। इसीलिए मैंनेसप्लीमेंट्री प्रोबायोटिक्स की ओर रुख किया और पाया कि भरोसे
लायक सिर्फ़ एक ही नाम था।
एंटरोजर्मिना, ना सिर्फ़ डायरिया केलिए दुनिया का नंबर वन प्रोबायोटिक और डॉक्टरों की पहली पसंद था, बल्कि
मेरेलिए सबसेसुकून वाली बात यह थी कि यह स्वाद-रहित, सुंगध-रहित और रंगहीन था। मेरा बच्चा बिना
आनाकानी केइसेतुरंत गटक जाता था।
तो, जो कुछ भी मुझेप्रोबायोटिक्स केबारेमें पता था, मैंनेसब कुछ आपको बता दिया। अब अपनेबच्चेकेपेट को
स्वस्थ रखनेऔर खुशहाल बचपन का तोहफ़ा देनी की बारी आपकी है।
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