डायरिया के दौरान आप अपने बच्चे को जो भोजन देते हैं वह हालत को सुधारने या बिगड़ने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि सही क्या है।
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एंटीबायोटिक्स और आपका पेट:
इनसे पेट पर क्या असर पड़ता है और ऐसे में आप क्या कर सकते हैं
एंटीबायोटिक्स, इंफेक्शन से लड़ने के लिए बनी शक्तिशाली दवाईयों होती हैं, पर यह आपके गट में बैक्टीरिया के नाज़ुक संतुलन को भी आसानी से बिगाड़ सकती हैं। हालाँकि एंटीबायोटिक्स हानिकारक बैक्टीरिया पर हमला करते हैं, पर अक्सर अनजाने में यह लाभकारी बैक्टीरिया को भी ख़त्म कर देते हैं, जिससे पेट की समस्याएं सामने आती हैं। तो आगे आप जानेंगे कि एंटीबायोटिक्स आपके पेट को कैसे प्रभावित करते हैं और इलाज के दौरान और बाद में आप अपने पेट को स्वस्थ बनाए रखने के लिए क्या-क्या कर सकते हैं।
एंटीबायोटिक्स से आपके पेट पर क्या असर पड़ता है
जब आप एंटीबायोटिक्स लेते हैं, तो यह सिर्फ़ हानिकारक बैक्टीरिया को ही नहीं; बल्कि आपकी पेट में मौज़ूद लाभकारी बैक्टीरिया को भी ख़त्म कर सकते हैं। जिसके परिणाम नीचे दिए गए हैं:
पेट में बैक्टीरिया का असंतुलन
एंटीबायोटिक्स पेट में लाभकारी बैक्टीरिया की संख्या को कम कर सकते हैं, जो पाचन क्रिया और समग्र स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं1।
पाचन संबंधी समस्याओं के लक्षण
पेट में बैक्टीरिया के असंतुलन से डायरिया, पेट में फूलन और दर्द जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं1।
इंफेक्शन की ज़्यादा संभावना
पेट में बैक्टीरिया के असंतुलन से क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल (C. diff) जैसे हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप पाचन संबंधी समस्याएं और बढ़ जाती हैं1।
एंटीबायोटिक्स से पेट पर असर के सामान्य लक्षण
डायरिया
पेट में फूलन और गैस
बेचैनी या पेट में ऐंठन
भूख कम लगना
आप क्या कर सकते हैं?
एंटीबायोटिक्स लेते समय पेट को स्वस्थ बनाए रखने के लिए यहाँ कुछ सरल उपाय दिए गए हैं:
अपने डॉक्टर से बात करें
आपकी एंटीबायोटिक्स की प्रीस्क्रिप्शन और पेट के स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी समस्या के बारे में हमेशा अपने डॉक्टर से बात करें।
प्रोबायोटिक्स लें
इलाज के दौरान एंटीबायोटिक्स लेते समय और बाद में, प्रोबायोटिक्स लेने से आपके पेट में लाभकारी बैक्टीरिया के संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है2।
हाइड्रेटेड रहें
खूब पानी पीने से शरीर में से विष यानी टॉक्सिन्स को बाहर निकालने और आपकी पाचन प्रणाली को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद मिलती है।
संतुलित आहार खाएं
पेट को स्वस्थ रखने के लिए फल, सब्जियाँ, अनाज और फाइबर युक्त आहार का सेवन करें। यह आहार, पेट में लाभकारी बैक्टीरिया को पोषण देते हैं और पाचन शक्ति को बेहतर बनाते हैं।
अनावश्यक एंटीबायोटिक्स ना लें
आपके पेट में लाभकारी बैक्टीरिया के संतुलन को बनाए रखने के लिए केवल आपके डॉक्टर द्वारा सुझाई एंटीबायोटिक्स लें।
एंटीबायोटिक्स, इंफेक्शन के इलाज के लिए ज़रूरी होते हैं, पर यह आपके पेट के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकते हैं। प्रोबायोटिक्स व संतुलित आहार का सेवन और पर्याप्त पानी पीना जैसे व्यवहारिक कदम उठाकर आप इनके असर को कम कर सकते हैं। याद रखें, इलाज के दौरान, एंटीबायोटिक्स लेते समय और बाद में अपने पेट का ख़याल रखना, पाचन क्षमता को स्वस्थ बनाए रखने की कुंजी है।
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वापस स्कूल जाना और पेट का स्वास्थ्य:
स्कूल जाने से पेट की समस्याएं क्यों
जब बच्चे स्कूल वापस जाते हैं, तब उन्हें ना सिर्फ़ नई क्लास और रूटीन के हिसाब से एडजस्ट करना पड़ता है - बल्कि उन्हे पेट से जुड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। माहौल बदलना, जर्म्स के संपर्क में आना और स्कूली दिनों का तनाव, इन सभी की वज़ह से बच्चों में पेट से जुड़ी समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है। इन चुनौतियों को समझने से आप बच्चे के भागदौड़ भरे इन दिनों के दौरान उनके पेट को स्वस्थ और सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं।
स्कूल जाने से पेट के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है
स्कूल से आपके बच्चे के पेट के स्वास्थ्य पर असर के मुख़्य कारण:
जर्म्स तेज़ी से फ़ैलते हैं
क्लासरूम जर्म्स से भरे हुए होते हैं, जिससे पेट में कीड़े और पाचन संबंधित समस्याएं पैदा हो सकती हैं1।
तनाव
नई टीचर, नए-नए दोस्त, और होमवर्क के प्रेशर से भी तनाव होता है, जिससे बच्चे की पाचन क्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है1।
खाने-पीने की बुरी आदतें
बच्चे स्कूल में चीनी युक्त स्नैक्स या प्रोसेस्ड आहार खा लेते हैं, नतीजन उनका पेट ख़राब हो जाता है2।
जल्दीबाजी में खाना
भागदौड़ भरे स्कूली दिनों में, बच्चे जल्दबाजी में नाश्ता करते हैं या फिर नाश्ता मिस कर देते हैं, जिससे पेट पर जोर पड़ता है।
पेट की समस्याओं के आम लक्षण
पेट में दर्द या ऐंठन
बेचैनी
डायरिया या कब्ज़
फूलन
आप क्या कर सकते हैं?
स्कूल वापस जाने के सीज़न में अपने बच्चे के पेट को सुरक्षित रखने के कुछ तरीके यहाँ दिए गए हैं:
साफ़-सफ़ाई को बढ़ावा दें
जर्म्स से बचने के लिए अपने बच्चे को बार-बार हाथ धोने के लिए कहें, ख़ासतौर पर खाने से पहले1।
तनाव का ख़याल रखें
स्कूल संबंधित तनाव से निपटने में अपने बच्चे की मदद करें, उनकी शिकायतें सुनें और आराम करने के लिए प्रोत्साहित करें1।
उन्हें हाइड्रेटेड रखें
दिन भर पर्याप्त पानी पीने के लिए बच्चे को प्रोत्साहित करें, इससे पाचन क्षमता बेहतर बनी रहती है।
अच्छी क्वॉलिटी का प्रोबायोटिक चुनें
प्रोबायोटिक्स पेट को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सर्वोत्तम परिणाम के लिए, अच्छी क्वॉलिटी और वैज्ञानिक रूप से जाँचा-परखा प्रोबायोटिक चुनें2।
स्कूल का माहौल ना सिर्फ़ मानसिक चुनौतियाँ, बल्कि पेट की समस्याएं जैसी शारीरिक चुनौतियाँ भी लाता है। स्वच्छता, संतुलित आहार और तनाव का ख़याल रखते हुए अपने बच्चे को स्वस्थ रहने में मदद करने से, आप उसे एक मज़बूत और स्वस्थ स्कूली वर्ष के लिए तैयार कर रहे हैं — क्योंकि उनकी पढ़ाई और पेट की सेहत, दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।
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सफ़र और आपका पेट:
इससे पेट पर क्या असर पड़ता है और ऐसे में आप क्या कर सकते हैं
सफ़र पर जाना रोमांचक तो होता है, पर यह आपके पेट को भी बिगाड़ सकता है। लंबा सफ़र, दूसरी जगहों पर समय का अलग होना और अपरिचित खाना, यह सभी पेट की समस्याओं का कारण बन सकते हैं। यहाँ बताया गया है कि सफ़र की वज़ह से आपके पेट पर क्या असर पड़ता है और इसे स्वस्थ रखने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं।
सफ़र से पेट पर असर कैसे
सफ़र से आपके पेट के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के मुख़्य कारण यहाँ दिए गए हैं:
दिनचर्या बदलना
खाने-पीने व सोने का समय बदलना और शरीरिक गतिविधि में कमी से पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है, जिससे कब्ज़ या पेट में फूलन की शिकायत सामने आती है1।
अपरिचित आहार
नए-नए आहार के सेवन से पेट में दर्द, डायरिया या पेट में गैस हो सकती है क्योंकि आपका शरीर इनका आदि नहीं होता2।
शरीर में पानी की कमी
लंबे सफ़र और गर्म मौसम से शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है और कब्ज़ की संभावना बढ़ जाती है3।
सफ़र से पेट पर असर के सामान्य लक्षण
पेट में फूलन और गैस
कब्ज़ या डायरिया
बेचैनी या पेट में ऐंठन
सीने में जलन
आप क्या कर सकते हैं?
सफ़र के दौरान आपके पेट को सुरक्षित रखने के कुछ सरल नुस्खे नीचे दिए गए हैं:
हाइड्रेटेड रहें
ख़ूब पानी पीएं, ख़ासतौर पर हवाई सफ़र के दौरान या गर्म जगहों पर। इससे आपकी पाचन क्रिया ठीक रहती है3।
सोच-समझकर खाएं
पचाने में आसान फाइबर-युक्त संतुलित आहार खाएं। नए प्रकार का खाना आपके अनुभव को बेहतर बनाता है, पर पेट को ख़ुश रखने के लिए संतुलन बनाए रखना भी ज़रूरी होता है4।
चलते-फिरते रहें
एयरपोर्ट पर टहलते रहें या हवाई सफ़र के दौरान हाथों-पैरों को स्ट्रेच करें, एक्टिव रहने से पेट में फूलन और कब्ज़ जैसी समस्याओं को दूर रखा जा सकता है5।
अच्छी नींद लें
जेट लैग (नींद संबंधी समस्या) से आपकी पाचन क्रिया पर बुरा असर पड़ता है, तो पेट को स्वस्थ रखने के लिए अच्छी नींद लें।
प्रोबायोटिक्स लें
सफ़र के दौरान अपरिचित आहार का सेवन या पानी बदलने से आपके पेट में असंतुलन पैदा होता है। प्रोबायोटिक्स लेने से आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बना रहता है और पाचन क्रिया बेहतर होती है7।
सफ़र से आपके पेट को नुकसान नहीं होना चाहिए। एक्टिव रहना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और प्रोबायोटिक्स लेना जैसे समझदारी भरे कदम आपके पाचन तंत्र को नए माहौल के हिसाब से ढालते हैं। तो सफ़र के रोमांच को बरकरार रखने के साथ-साथ पेट को भी ख़ुश रखें।
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मौसम में बदलाव और पेट का स्वास्थ्य:
मौसम बदलने से पेट पर क्या असर पड़ता है और इसके लिए आप क्या कर सकते हैं
मौसम बदलना महज तापमान का कम-ज़्यादा होना या फिर दिन का बड़ा या छोटा होना नहीं होता; इससे हमारे पेट के स्वास्थ्य सहित पूरे शरीर पर भी प्रभाव पड़ता है। मौसम, खाना-पीना और दिनचर्या में बदलाव से पेट में बैक्टीरिया का नाज़ुक संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे पेट की समस्याएं हो सकती है। तो आइए जानें कि इन मौसमी परिवर्तनों के दौरान विशेषतौर पर पेट की समस्याएं क्यों खड़ी होती हैं और बचाव के लिए आप क्या-क्या कदम उठा सकते हैं।
मौसम बदलने से पेट के स्वास्थ्य पर असर क्यों
मौसम बदलने पर पेट पर क्यों दबाव पड़ता है, इसके बारे में कुछ जानकारी यहाँ दी गई है:
पेट के बैक्टीरिया पर प्रभाव
तापमान और नमी सहित पर्यावरणीय बदलाव के प्रति गट माइक्रोबायोम (जठरांत्र वनस्पति) अत्यधिक संवेदनशील होता है। यह कारक पेट में बैक्टीरिया की संरचना को बदल सकते हैं, जिससे पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है और पेट का संतुलन बिगड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
इम्युनिटी में उतार-चढ़ाव
मौसम बदलने पर आपकी इम्युनिटी पर भी प्रभाव पड़ता है। ज़्यादा ठंड या वसंत ऋतु में होने वाली एलर्जी से आपकी इम्युनिटी कमज़ोर हो जाती है, जिससे आपके पेट में इंफेक्शन, फूलन और पाचन संबंधी समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है2।
मौसमी आहार परिवर्तन
मौसम के साथ-साथ खाने-पीने के चीज़ों में भी बदलाव होता है। मौसमी फल और सब्ज़ियां, स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं, पर ठंड के महीनों में भारी, तले हुए आहार से पाचन क्रिया धीमी पड़ सकती है, जबकि गर्म महीनों में शरीर में पानी की कमी और पाचन संबंधी समस्याएं सामने आ सकती है3।
मौसमी पेट की समस्याओं के सामान्य लक्षण
ज़्यादा गैस या फूलन
कब्ज़ या डायरिया
सामान्य बदहज़मी या भारीपन
कमजोरी और सुस्ती
आप क्या कर सकते हैं
इन मौसमी बदलावों का सामना करने के लिए पेट को स्वस्थ रखें, नीचे दिए गए उपाय आजमाएं:
मौसमी खाने-पीने की चीज़ों का सेवन करते समय संयम बरतें
हर मौसम का आनंद उठाने के साथ-साथ संतुलन बनाए रखना भी ज़रूरी होता है। सर्दियों में भारी भोजन के साथ हल्का, फाइबर युक्त आहार लेने से पाचन क्रिया ठीक रहती है और गर्मियों में पाचन समस्याओं से निपटने के लिए भरपूर पानी पीना ज़रूरी होता है5।
अपनी दैनिक दिनचर्या व्यवस्थित करें
अच्छी नींद लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना और समय-समय पर भोजन करने से आपका पेट स्वस्थ रहता है। चाहे दिन बड़ा हो या छोटा, नियमितता बनाए रखने से आपके शरीर को मौसमी बदलावों के साथ तालमेल बिठाने में आसानी होती है।
अपनी इम्युनिटी बढ़ाएं
मौसम बदलने से आपकी इम्युनिटी पर भी दबाव पड़ता है, इसलिए इसे मज़बूत बनाए रखने के लिए अपने आहार में एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ और पेट के लिए लाभकारी पोषक तत्व शामिल करें। क्योंकि अगर इम्युनिटी मज़बूत होगी तो इंफेक्शन और पेट में फूलन की संभावना भी कम होगी7।
तनाव का ख़याल रखें
मौसम में बदलाव तनावपूर्ण हो सकता है - छुट्टियों का प्रेशर या फिर ठंडे मौसम में काम का बोझ। ज़्यादा तनाव से पेट पर भी बुरा असर पड़ता है, इसलिए तनाव से राहत के लिए योगा का अभ्यास या व्यायाम जैसी शारीरिक गतिविधियों को प्राथमिकता दें8।
अच्छी क्वॉलिटी का प्रोबायोटिक चुनें
मौसम के उतार-चढ़ाव से आपके पेट पर बुरा असर पड़ता है, इसीलिए अच्छी क्वॉलिटी का प्रोबायोटिक लेने से आपके पेट में लाभकारी बैक्टीरिया का संतुलन बना रहता है और पेट भी स्वस्थ रहता है9।
मौसम बदलने के साथ-साथ आपके पेट के स्वास्थ्य का भी ख़याल रखना ज़रूरी होता है। पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम और अच्छी क्वॉलिटी के प्रोबायोटिक के सेवन से आपके शरीर में मौसमी बदलावों का सामना करने की क्षमता आ जाती है। हर मौसम अच्छे स्वास्थ्य के नए अवसर लेकर आता है — तो चाहे मौसम कैसा भी हो, पेट के स्वास्थ्य का ख़याल रखना भी ज़रूरी होता है!
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बच्चों में पेट के इंफेक्शन्स:
इससे पाचन स्वास्थ्य पर प्रभाव को समझना और इसके लिए आप क्या कर सकते हैं
बच्चों में कुदरती रूप से आस-पास के मौहाल के बारे जानने की उत्सुकता रहती है, जिससे वह विभिन्न प्रकार के जर्म्स और बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाते हैं। हालाँकि सीखना उनके विकास का एक सामान्य पड़ाव होता है, पर कभी-कभी उनकी यह उत्सुकता पेट में इंफेक्शन का कारण बन जाती है नतीजन उनके पेट के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। इन इंफेक्शन्स के कारण को समझना और उन्हें नियंत्रण में रखने के तरीके जानना, बच्चों के लिए एक अच्छे स्वास्थ्य की नींव सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
बच्चों को पेट का इंफेक्शन क्यों होता है
कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली
छोटे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित हो रही होती है जो इंफेक्शन से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं होती। इससे वह बैक्टीरिया और वायरस के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं जो पेट को ख़राब कर सकते हैं1।
जर्म्स के संपर्क में आना
ख़ासतौर पर स्कूल और डे-केयर में, बच्चे अक्सर दूसरों के संपर्क में आते हैं। इससे पेट में इंफेक्शन फ़ैलने की संभावना बढ़ जाती है।
खाने-पीने की आदतें
खाने में आनाकानी करना, समय पर ना खाना, जल्दी-जल्दी खाना जैसे कारणों की वज़ह से पोषण की कमी हो सकती है, जिससे बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर और इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है3।
बच्चों में पेट के इंफेक्शन के सामान्य लक्षण
डायरिया
उल्टी
पेट में दर्द या ऐंठन
बुख़ार
भूख ना लगना
आप क्या कर सकते हैं?
साफ़-सफाई का ध्यान रखें
अपने बच्चों को हाथ धोने के महत्व के बारे में समझाएं, ख़ासतौर पर खाने से पहले और शौच के बाद। साफ़-सफ़ाई बनाए रखने से इंफेक्शन की संभावना काफी कम हो जाती है4।
संतुलित आहार को प्राथमिकता दें
बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व युक्त आहार खिलाएं। पेट को स्वस्थ बनाए रखने के लिए उनके आहार में फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन (कम वसा वाला मांस) शामिल करें5।
उन्हें हाइड्रेटेड रखें
बीमारी के दौरान और ठीक होने के बाद बच्चे को खूब पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे बीमारी से उभरने और डायरिया या उल्टी के दौरान शरीर में होने वाले पानी की कमी को दूर किया जा सकता है4।
डॉक्टर से मिलें
अगर आपके बच्चे में पेट के इंफेक्शन के लक्षण नज़र आ रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। सही इलाज की सिफ़ारिश केवल डॉक्टर कर सकते हैं जिससे शीघ्र स्वस्थ होने में मदद मिलती है2।
प्रोबायोटिक्स शामिल करें
इलाज के साथ-साथ अच्छी क्वॉलिटी का प्रोबायोटिक शामिल करने से पेट की समस्याओं को नियंत्रण में रखा जा सकता है3।
बच्चों में पेट का इंफेक्शन होना एक आम बात है, पर उनके पेट को स्वस्थ बनाए रखने के कुछ प्रभावी तरीके भी हैं। साफ़-सफ़ाई को बढ़ावा देने, संतुलित आहार को प्रोत्साहित करने और प्रोबायोटिक्स को शामिल करने से आप अपने बच्चे के पेट को स्वस्थ रख सकते हैं और इससे इंफेक्शन से उभरने में भी मदद मिलती है। सही तरीके अपनाने से आप उनके विकसित हो रहे पाचन तंत्र में मज़बूती और तंदुरुस्ती जोड़ सकते हैं!
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अनयिमित आहार और आपका पेट:
इससे पेट पर क्या असर पड़ता है और ऐसे में आप क्या कर सकते हैं
अनियमित आहार — खाना स्किप करना, ज़्यादा खाना या समय-समय पर ना खाना जैसी आदतों की वज़ह से पेट की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आपके पेट का स्वास्थ्य, नियमित दिनचर्या पर निर्भर करता है, और जब वो संतुलन बिगड़ जाता है, तो यह असुविधा का कारण बन सकता है। अनियमित खान-पान के कारण आपके पेट पर पड़ने वाले प्रभाव और पेट को स्वस्थ बनाए रखने के उपायों के बारे में यहाँ जानकारी दी गई है।
अनियमित आहार से आपके पेट पर असर
नियमित रूप से खान-पान ना करने पर आपके पेट पर जोर पड़ता है। इसके कुछ दुष्परिणामों के बारे में नीचे बताया गया है
पेट ख़राब होना
खाना स्किप करने या समय पर ना खाने से आपका पेट उलझन में चला जाता है, जिससे पेट में फूलन, ऐंठन या अनियमित मल त्याग जैसी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं1,2।
ज़्यादा खाना
कुछ समय तक ना खाना और फिर अचानक ज़्यादा खाने से आपकी पाचन क्रिया पर जोर पड़ता है, जिससे बेचैनी, गैस और बदहज़मी जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं3।
संतुलन की कमी
नियमित रूप से खान-पान ना करने पर आपके पेट में अतिआवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जो पेट में बैक्टीरिया के संतुलन को बिगाड़कर पाचन संबंधी समस्याएं पैदा करते हैं4।
समय पर ना खाने के कारण पेट ख़राब होने के सामान्य लक्षण
पेट में फूलन और गैस
कब्ज़ या डायरिया
पेट में दर्द या ऐंठन
बदहज़मी या सीने में जलन
खाने के बाद सुस्ती महसूस करना
आप क्या कर सकते हैं?
खाने का समय अनियमित होने पर भी, पेट को स्वस्थ बनाए रखने के कुछ सरल उपाय यहाँ दिए गए हैं:
नियमित खाने का समय
दिन भर में, एक ही समय पर खाना खाने की कोशिश करें। कम मात्रा में, संतुलित आहार भी आपके पेट को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है।
संतुलित आहार अपनाएं
खाने का समय अनियमित होने के बावज़ूद, अपने पेट को स्वस्थ बनाए रखने के लिए अपने आहार में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे फाइबर, लीन प्रोटीन, स्वस्थ वसा और साबुत अनाज शामिल करें6।
हाइड्रेटेड रहें
खाने का समय अनियमित होने के बावज़ूद, दिन भर भरपूर पानी पीने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है7।
समय-समय पर ना खाने की वज़ह से आपके पेट को नुकसान पहुँच सकता है, पर अच्छी बात यह है कि आदतों को कभी भी सुधारा जा सकता है। समय-समय पर खाना, पर्याप्त पानी पीना और प्रोबायोटिक्स के सेवन से आप अपने पेट के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं। छोटे-छोटे, नियमित बदलाव आपके पेट को ख़ुश और तंदुरुस्त बनाए रखने में मददगार साबित होंगे।
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बाहर का खाना और पेट का स्वास्थ्य:
बाहर का खाना खाने से पेट पर क्या असर पड़ता है और ऐसे में आप क्या कर सकते हैं
बाहर का खाना मज़ेदार तो होता है, पर यह अक्सर पेट ख़राब कर देता है। तरह-तरह के व्यंजनों में से चुनना और खाने-पीने का माहौल, आपकी पाचन क्रिया पर प्रभाव डालते हैं। इन बातों को ध्यान में रखने से आप स्मार्ट फ़ैसले ले पाएंगे और बाहर के खाने का खुल के आनंद उठा सकेंगे।
बाहर के खाने से पेट क्यों ख़राब हो सकता है
सामग्री को लेकर उलझन
रेस्तरां अपने व्यंजनों को तैयार करने में अतिरिक्त चीनी, अस्वस्थ वसा और एडिटिव्स का इस्तेमाल करते हैं जो आपके पेट को नुकसान पहुँचा सकते हैं। अगर आपको पूरी सामग्री की जानकारी नहीं है, तो हो सकता है कि आप पेट के लिए हानिकारक चीज़ें ही खा रहे हों।
भारी खाना
कई रेस्तरां के मेनू में भारी, प्रोसेस्ड व्यंजन होते हैं जो पेट में बैक्टीरिया के संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, ख़ासतौर उन लोगों को ज़्यादा समस्या होती है जिनकी पाचन क्षमता कमज़ोर होती है।
खाने की मात्रा पर नियंत्रण
रेस्तरां में परोसे जाने वाले खाने की मात्रा आमतौर पर सामान्य से ज़्यादा होती है। ज़्यादा खाने से आपके पाचन तंत्र पर जोर पड़ता है, जिससे बेचैनी और पेट में फूलन की समस्या हो सकती है3,4।
ध्यान भटकाना:
ज़्यादा लोगों के बीच आप अक्सर जल्दीबाज़ी में खाते हैं, जिससे आपके शरीर को भूख के संकेतों को सुनने में कठिनाई होती है, परिणामस्वरूप आप ज़्यादा खा लेते हैं7,8.
पेट में समस्या के सामान्य लक्षण
पेट में फूलन या गैस
पेट में ऐंठन
बेचैनी या बदहज़मी
अनियमित मल त्याग
आप क्या कर सकते हैं?
समझदारी से चुनें
ऐसे रेस्तरां का चयन करें जो अपने व्यंजनों में ताज़ी, पौष्टिक सामग्रियाँ इस्तेमाल करते हैं। सेहतमंद आहार विकल्पों के लिए मेनू पर नज़र डालें1,5।
आराम से खाएं
धीरे-धीरे खाएं और हर निवाले का आनंद लें। इससे आपके शरीर को पेट के भरे होने के संकेत मिल जाएंगे और आप नियंत्रण में रह कर खाएंगे8,9।
स्मार्ट विकल्प चुनें
तले हुए आहार की बजाय ग्रिल्ड, बेक्ड या स्टीम्ड व्यंजन का आनंद उठाएं, और फाइबर के लिए आहार में सलाद या सब्ज़ियों को शामिल करें।
मात्रा को नियंत्रण में रखें
खाना शेयर करें या छोटे प्लेट ऑर्डर करें, इससे आप ज़्यादा खाने से बचेंगे3,6।
हाइड्रेटेड रहें
खाने से पहले और खाने के दौरान पानी पीने से पाचन क्रिया ठीक रहती है। मीठे पेय पदार्थों का सेवन कम करें, क्योंकि इनसे पाचन संबंधी समस्याएं और बढ़ सकती हैं9,10।
बाहर खाने से आपके पेट पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। सोच-समझकर व्यंजन चुनने और आराम से खाने से आप अपनी पाचन क्षमता को बनाए रखते हुए खाने का खुल के आनंद ले सकते हैं। तो बाहर के खाने का आनंद उठाएं पर अपने पेट का ख़याल रखना ना भूलें!
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