बच्चों में धीमी पाचन क्रिया
बच्चों में लेज़ी गट सिंड्रोम पेट की एक आम समस्या है जहाँ पाचन क्रिया धीमी और मल त्याग अनियमित होता है। इस स्थिति के कारण कब्ज़, पेट में दर्द और बेचैनी जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं। इस सिंड्रोम के लक्षणों को पहचानना और समझना उन माता-पिता के लिए बेहद ज़रूरी है जो अपने बच्चों को पेट की समस्याओं से राहत और उनके पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखना चाहते हैं।
लेज़ी गट सिंड्रोम को पहचानना
बच्चे का पेट ठीक ना होने पर उनमें नीचे दिए गए सामान्य लक्षण नज़र आ सकते हैं। अगर बच्चा इन तीनों लक्षणों से पीड़ित है, तो यह लेज़ी गट सिंड्रोम (धीमी पाचन क्रिया) की ओर इशारा करता है, पर सटीक निदान के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है:
अनियमित मल त्याग:
कब्ज़ एक प्रमुख लक्षण है। अगर आपके बच्चे को सामान्य से कम बार मल त्याग हो रहा है और मल कभी पतला तो कभी कठोर हो जाता है, तो यह कमज़ोर पाचन तंत्र की निशानी है2।
पेट में फूलन और दर्द:
पाचन क्रिया धीमी होने पर, पेट में गैस बनती है और फूलन की वज़ह से पीड़ा का एहसास होता है3।
बेचैनी:
धीमी पाचन क्रिया के कारण शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे आपका बच्चा बेचैनी महसूस कर सकता है4।
लेज़ी गट (धीमी पाचन क्रिया) के कारण
आँतों में ब्लोकेज: आपके बच्चे का पेट आमतौर पर मल का त्याग आसानी से करता है, पर आँतों में ब्लोकेज के कारण उसे कब्ज़ हो सकती है5।
खाने-पीने की गलत आदतें: आहार में फाइबर की कमी और प्रोसेस्ड आहार का अधिक सेवन, लेज़ी गट सिंड्रोम (धीमी पाचन क्रिया) का कारण बनता है। इसीलिए संतुलित आहार को प्राथमिकता देना बेहद ज़रूरी है6।
असक्रिय जीवनशैली: शारीरिक गतिविधि की कमी से पेट में गतिशीलता कम हो सकती है, जिससे पाचन क्रिया धीमी हो सकती है7।
तनाव और चिंता: तनाव का कारण स्कूल हो या कुछ और, अत्यधिक तनाव से पेट की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है जिससे कब्ज़ या पेट में फूलन जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं8।
अंदरूनी बीमारी: इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) और हाइपोथायरायडिज्म जैसी स्थितियां पेट की गतिशीलता को प्रभावित करके पाचन क्रिया को धीमा कर सकती हैं9।
उन्हें वापस ठीक कैसे किया जाए
फाइबर का संतुलन
पेट के लिए फाइबर ज़रूरी होता है, पर ज़्यादा सेवन से पाचन क्रिया और धीमी पड़ सकती है। बच्चे को मांस, डेयरी और बिना छिलके वाले फल और सब्जियों से युक्त संतुलित आहार दें, क्योंकि कभी-कभी कम फाइबर ज़्यादा असरदार होता है6।
हाइड्रेटेड रहें:
अपने बच्चे को भरपूर पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि उसका पाचन तंत्र सही तरह से काम करे। सर्वोत्तम परिणामों के लिए कैफीनयुक्त और चीनी युक्त पेय पदार्थों का सेवन सीमित करें3।
चलते-फिरते रहें:
नियमित व्यायाम से पाचन क्रिया बेहतर होती है। खाने के बाद थोड़ा बहुत टहलने से भी पेट की गतिशीलता पर अच्छा प्रभाव पड़ता है7।
प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स लें:
बच्चे को आहार के साथ-साथ प्रतिदिन प्रोबायोटिक्स देना शुरू करें, इससे पेट में बैक्टीरिया का अच्छा संतुलन बना रहेगा, पाचन क्रिया में सुधार होगा और लक्षणों का असर कम होगा6,10।
लेज़ी गट (धीमी पाचन क्रिया) की रोकथाम के लिए मार्गदर्शिका
कब्ज़ की रोकथाम ही सबसे अच्छा तरीका है। आपके बच्चे के पेट को स्वस्थ बनाए रखने के कुछ उपाय नीचे दिए गए गए हैं:
प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स लें:
अपने डॉक्टर की सलाह पर अपने बच्चे को प्रोबायोटिक्स देना शुरू करें, इससे पेट में बैक्टीरिया के स्वस्थ संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है और पाचन क्षमता बेहतर होती है10।
संतुलित आहार लें:
आहार में विभिन्न प्रकार के संपूर्ण खाद्य पदार्थ शामिल करें जैसे फल, सब्ज़ियाँ, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज। प्रोसेस्ड आहार का ज़्यादा सेवन करने से पाचन क्रिया धीमा हो सकती है6।
खाने को अच्छी तरह चबाकर खाएं:
अपने बच्चे को आराम से खाना खाने के लिए प्रोत्साहित करें, क्योंकि खाने को अच्छी तरह चबाने से पाचन क्षमता में सुधार होता है और पेट व आंतों पर कम दबाव पड़ता है5।
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें:
नियमित व्यायाम, टहलना या बाहर खेलने जैसी हल्की गतिविधियों से भी मल त्याग बेहतर होता है और पेट समग्र रूप से स्वस्थ रहता है7।
नियमित रूप से पानी पिएं:
सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा दिन भर भरपूर पानी पीए, इससे पाचन क्षमता बेहतर और कब्ज़ की रोकथाम होगी। पानी को उसका मनपसंद पेय बनाएं3।
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