स्कूल से बच्चों का पेट होता है ख़राब! तनाव, जर्म्स और खाने की आदतों से पाचन बिगड़ता है; तुरंत राहत के लिए उपाय जानें।
मौसम में बदलाव और पेट का स्वास्थ्य:
मौसम बदलने से पेट पर क्या असर पड़ता है और इसके लिए आप क्या कर सकते हैं
मौसम बदलना महज तापमान का कम-ज़्यादा होना या फिर दिन का बड़ा या छोटा होना नहीं होता; इससे हमारे पेट के स्वास्थ्य सहित पूरे शरीर पर भी प्रभाव पड़ता है। मौसम, खाना-पीना और दिनचर्या में बदलाव से पेट में बैक्टीरिया का नाज़ुक संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे पेट की समस्याएं हो सकती है। तो आइए जानें कि इन मौसमी परिवर्तनों के दौरान विशेषतौर पर पेट की समस्याएं क्यों खड़ी होती हैं और बचाव के लिए आप क्या-क्या कदम उठा सकते हैं।
मौसम बदलने से पेट के स्वास्थ्य पर असर क्यों
मौसम बदलने पर पेट पर क्यों दबाव पड़ता है, इसके बारे में कुछ जानकारी यहाँ दी गई है:
पेट के बैक्टीरिया पर प्रभाव
तापमान और नमी सहित पर्यावरणीय बदलाव के प्रति गट माइक्रोबायोम (जठरांत्र वनस्पति) अत्यधिक संवेदनशील होता है। यह कारक पेट में बैक्टीरिया की संरचना को बदल सकते हैं, जिससे पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है और पेट का संतुलन बिगड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
इम्युनिटी में उतार-चढ़ाव
मौसम बदलने पर आपकी इम्युनिटी पर भी प्रभाव पड़ता है। ज़्यादा ठंड या वसंत ऋतु में होने वाली एलर्जी से आपकी इम्युनिटी कमज़ोर हो जाती है, जिससे आपके पेट में इंफेक्शन, फूलन और पाचन संबंधी समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है2।
मौसमी आहार परिवर्तन
मौसम के साथ-साथ खाने-पीने के चीज़ों में भी बदलाव होता है। मौसमी फल और सब्ज़ियां, स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं, पर ठंड के महीनों में भारी, तले हुए आहार से पाचन क्रिया धीमी पड़ सकती है, जबकि गर्म महीनों में शरीर में पानी की कमी और पाचन संबंधी समस्याएं सामने आ सकती है3।
मौसमी पेट की समस्याओं के सामान्य लक्षण
ज़्यादा गैस या फूलन
कब्ज़ या डायरिया
सामान्य बदहज़मी या भारीपन
कमजोरी और सुस्ती
आप क्या कर सकते हैं
इन मौसमी बदलावों का सामना करने के लिए पेट को स्वस्थ रखें, नीचे दिए गए उपाय आजमाएं:
मौसमी खाने-पीने की चीज़ों का सेवन करते समय संयम बरतें
हर मौसम का आनंद उठाने के साथ-साथ संतुलन बनाए रखना भी ज़रूरी होता है। सर्दियों में भारी भोजन के साथ हल्का, फाइबर युक्त आहार लेने से पाचन क्रिया ठीक रहती है और गर्मियों में पाचन समस्याओं से निपटने के लिए भरपूर पानी पीना ज़रूरी होता है5।
अपनी दैनिक दिनचर्या व्यवस्थित करें
अच्छी नींद लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना और समय-समय पर भोजन करने से आपका पेट स्वस्थ रहता है। चाहे दिन बड़ा हो या छोटा, नियमितता बनाए रखने से आपके शरीर को मौसमी बदलावों के साथ तालमेल बिठाने में आसानी होती है।
अपनी इम्युनिटी बढ़ाएं
मौसम बदलने से आपकी इम्युनिटी पर भी दबाव पड़ता है, इसलिए इसे मज़बूत बनाए रखने के लिए अपने आहार में एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ और पेट के लिए लाभकारी पोषक तत्व शामिल करें। क्योंकि अगर इम्युनिटी मज़बूत होगी तो इंफेक्शन और पेट में फूलन की संभावना भी कम होगी7।
तनाव का ख़याल रखें
मौसम में बदलाव तनावपूर्ण हो सकता है - छुट्टियों का प्रेशर या फिर ठंडे मौसम में काम का बोझ। ज़्यादा तनाव से पेट पर भी बुरा असर पड़ता है, इसलिए तनाव से राहत के लिए योगा का अभ्यास या व्यायाम जैसी शारीरिक गतिविधियों को प्राथमिकता दें8।
अच्छी क्वॉलिटी का प्रोबायोटिक चुनें
मौसम के उतार-चढ़ाव से आपके पेट पर बुरा असर पड़ता है, इसीलिए अच्छी क्वॉलिटी का प्रोबायोटिक लेने से आपके पेट में लाभकारी बैक्टीरिया का संतुलन बना रहता है और पेट भी स्वस्थ रहता है9।
मौसम बदलने के साथ-साथ आपके पेट के स्वास्थ्य का भी ख़याल रखना ज़रूरी होता है। पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम और अच्छी क्वॉलिटी के प्रोबायोटिक के सेवन से आपके शरीर में मौसमी बदलावों का सामना करने की क्षमता आ जाती है। हर मौसम अच्छे स्वास्थ्य के नए अवसर लेकर आता है — तो चाहे मौसम कैसा भी हो, पेट के स्वास्थ्य का ख़याल रखना भी ज़रूरी होता है!
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A- Lahiri K et al. Bacillus clausii As An Adjuvant Therapy In Acute Childhood Diarrhoea. IOSR Journal of Dental and Medical Sciences (IOSR-JDMS) 2015;14:74-76.
B- Giua et al (2024). A Prospective Real‑World Study of Bacillus clausii Evaluating Use, Treatment Habits and Patient Satisfaction in Italian Community Pharmacies: The PEGASO Study. Drugs - Real World Outcomes (2024) 11:137–147.
C- Ghelardi et al (2015). Survival and persistence of Bacillus clausii in the human gastrointestinal tract following oral administration as spore-based probiotic formulation. Journal of Applied Microbiology 119, 552-559.
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